Bubu News India Blog उत्तराखण्ड उधम सिंह नगर यूसीसी विधेयक पारित किया जाना मातृशक्ति की सबसे बड़ी जीत : हेमंत द्विवेदी
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यूसीसी विधेयक पारित किया जाना मातृशक्ति की सबसे बड़ी जीत : हेमंत द्विवेदी

मुख्य्मंत्री का प्रदेश की जनता व पार्टी की ओर से अभिनन्दन आभार : हेमन्त द्विवेदी

देहरादून । भाजपा प्रदेश प्रवक्ता हेमंत द्विवेदी द्वारा यूसीसी  का स्वागत किया और मुख्यमंत्री जी को प्रदेश की जनता और पार्टी की ओर से अभिनन्दन और हार्दिक बधाई दी है ।

प्रदेश प्रवक्ता ने बताया कि वास्तव में यूसीसी विधेयक विधानसभा द्वारा पारित किया जाना राज्य की मातृशक्ति की सबसे बड़ी जीत  है।यूसीसी को कानूनी जामा पहनाने से माननीय मुख्यमंत्री श्री  पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व को गरिमा और सम्मान मिला है।  इस एतिहासिक विधेयक को पास कराने से राज्य भर में उत्साह का माहौल बना है।  उन्होंने महिलाओं के सम्मान और हक के लिए यूसीसी को एक अहम कदम बताते हुए कहा कि इससे सर्व समाज का भला होगा तथा  तुष्टिकरण व गैर बराबरी मिटेगी ।  यूसीसी लागू होने से महिलाओं को स्वाभिमान और  सम्मान से जीने का अधिकार मिल सकेगा। प्रदेश प्रवक्ता ने बताया कि आजादी के बाद से ही समान नागरिक संहिता की मांग की जा रही थी। इसके बाद भी किसी ने भी यूसीसी लागू करने की हिम्मत नहीं दिखाई। केंद्र में मोदी सरकार और राज्य में धामी सरकार आते ही यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बना है। यूसीसी लागू होने से तलाक और सभी धर्मों के लिए एक कानून, भरण पोषण, संपत्ति बंटवारे में लड़की का समान हक मिलेगा और अन्य धर्म या जाति में विवाह कर लड़की के अधिकारों का हनन नहीं होगा।

उन्होंने बताया कि यूसीसी में विशेष  तरह प्रावधान रखे गए हैं। हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून होंगे, जो हिंदुओ के साथ साथ अन्य धर्मों के लिए भी हैं। बिना तलाक एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे, मुसलमानों को 4 शादी करने की छूट नहीं रहेगी।

यूसीसी के तहत  सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी, पुरुष-महिला को तलाक देने के समान अधिकार मिलेगा। लिव इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी है, लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 6 माह की सजा होगी। लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार है, महिला के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं है। अनुसूचित जनजाति दायरे से बाहर हैं, बहु विवाह पर रोक, पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं हो सकती है। शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी बिना रजिस्ट्रेशन सुविधा नहीं है। उत्तराधिकार में लड़कियों को बराबर का हक मिलेगा।

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